
संगठन ने इसे युवा पायलटों के शोषण का मामला बताते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री को पत्र लिखा और इस पर रोक लगाने की मांग की।
मध्यवर्गीय परिवारों पर बढ़ता आर्थिक बोझ
ALPA India ने कहा कि महंगे प्रशिक्षण शुल्क के कारण मध्यवर्गीय परिवारों के लिए पायलट बनने का सपना मुश्किल होता जा रहा है। वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस (CPL) जारी करने की संख्या में भी कमी आई है। 2024 में 1,342 CPL जारी किए गए, जो 2023 की तुलना में 17% कम हैं।
“एयरलाइंस ने बना लिया है एकाधिकार”
ALPA India के अध्यक्ष सैम थॉमस ने आरोप लगाया कि एयरलाइंस ने मिलकर प्रशिक्षण शुल्क को मनमाने ढंग से बढ़ा दिया है। पहले एयरलाइंस खुद पायलटों को प्रशिक्षण देती थीं, लेकिन अब ट्रेनिंग विभाग और एचआर मिलकर इसे महंगे पैकेज में बेच रहे हैं।
1.25 करोड़ तक पहुंची ट्रेनिंग की लागत
भारत में CPL प्राप्त करने का खर्च 30-35 लाख रुपये है, जबकि विशेष विमान के लिए ट्रेनिंग शुल्क 10-15 लाख रुपये होना चाहिए। लेकिन कैडेट पायलट प्रोग्राम की कीमत 60 लाख से 1.25 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जबकि पश्चिमी देशों में यह या तो सब्सिडी में मिलता है या मुफ्त।
DGCA पर नियमों की अनदेखी का आरोप
ALPA India ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) पर नियमों को ताक पर रखने का आरोप लगाया है। ALPA ने कहा कि Go Air के दिवालिया होने के बाद वहां के अधिकारी Star Air में चले गए और वही शोषण जारी रखा।
23,000 में से सिर्फ 11,000 पायलटों को ही नौकरी
भारत में अब तक 23,000 CPL जारी किए गए हैं, लेकिन सिर्फ 11,000 पायलटों को ही नौकरी मिल सकी। बाकियों को अपना लाइसेंस बनाए रखने के लिए अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
सरकार से की हस्तक्षेप की मांग
ALPA India ने सरकार से एयरलाइंस द्वारा मनमाने ढंग से बढ़ाए गए ट्रेनिंग शुल्क की जांच करने और पायलटों के लिए सस्ती ट्रेनिंग नीति लाने की अपील की है।