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दिल्ली में बीजेपी की जीत से बिहार चुनाव में कांग्रेस की नई रणनीति.

पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक संघर्ष का फायदा मिला।

27 साल बाद दिल्ली में भाजपा ने सत्ता हासिल की। कांग्रेस की वोट कटिंग से AAP को 14 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस अब इस हार को अपने सहयोगी दलों को उदाहरण के तौर पर पेश कर रही है। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने शीर्ष नेतृत्व से स्पष्ट राजनीतिक रणनीति की मांग की। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस को तय करना होगा कि वह गठबंधन करेगी या अकेले चुनाव लड़ेगी।”

AAP और कांग्रेस का गठबंधन:
अगर AAP और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ते, तो नतीजे अलग हो सकते थे। दिल्ली की 14 विधानसभा सीटें, जहां कांग्रेस के वोटों के कारण AAP को हार का सामना करना पड़ा, उनमें संगम विहार, त्रिलोकपुरी, जंगपुरा, राजेंद्र नगर, ग्रेटर कैलाश, कस्तूरबा नगर और नांगलोई जाट शामिल हैं।

उदाहरण के तौर पर, संगम विहार में कांग्रेस को 15,863 वोट मिले और AAP केवल 344 वोटों से हारी। त्रिलोकपुरी में कांग्रेस ने 6,147 वोट पाए और AAP सिर्फ 393 वोटों से पीछे रही। ऐसे ही कई अन्य सीटों पर वोटों के बंटवारे ने चुनाव परिणाम प्रभावित किए।

बिहार विधानसभा चुनाव:
बिहार में आगामी चुनावों को लेकर कांग्रेस ने महागठबंधन में 70 सीटों की फिर से मांग शुरू कर दी है। 2020 के चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उस समय RJD को 144 सीटें, कांग्रेस को 70, सीपीआई(एमएल) को 19 और सीपीएम को 6 सीटें मिली थीं। इस बार कांग्रेस उसी फॉर्मूले के तहत सीटों की मांग कर रही है।

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