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इसे 21वीं सदी की सबसे बड़ी पुरातात्विक खोज माना जा रहा है।
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यह खोज वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और इंटरनेट पर षड्यंत्र सिद्धांतों को मानने वालों में बहस का कारण बन गई है।
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कहा जा रहा है कि यह भूमिगत शहर हजारों साल पुराना हो सकता है।
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पिरामिडों के नीचे इस तरह की संरचना मिलने की कल्पना भी किसी ने नहीं की थी।
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भूमिगत शहर में सुरंगें, कक्ष और संभवतः सभागार जैसी संरचनाएं मिली हैं।
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अब तक मिली जानकारी के अनुसार, यह शहर संभवतः ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्मिक क्रियाओं का केंद्र रहा होगा।
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कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह जगह फिरौन राजाओं के समय से भी पुरानी हो सकती है।
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इंटरनेट पर लोग इसे “गुप्त सभ्यता” का प्रमाण मान रहे हैं।
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कई लोग इसे एलियंस या प्राचीन तकनीकी सभ्यता से जोड़ रहे हैं।
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मिस्र के पुरातत्व विभाग ने इस खोज की पुष्टि की है, लेकिन वे सतर्कता से जांच कर रहे हैं।
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गिज़ा का क्षेत्र पहले से ही रहस्यों और चमत्कारों से भरा हुआ माना जाता है।
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यह खोज पिरामिडों की वास्तुकला और उनके उद्देश्य पर भी नए सवाल खड़े कर रही है।
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इतिहासकार अब पिरामिडों की असली भूमिका को लेकर नई थ्योरीज़ पर काम कर रहे हैं।
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कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह भूमिगत शहर आपदा से बचने के लिए बनाया गया था।
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सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि “इतिहास फिर से लिखा जाएगा”।
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सरकार इस स्थल को लेकर सुरक्षा बढ़ा रही है और सर्वे जारी है।
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शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम अब इस क्षेत्र की गहराई से जांच कर रही है।
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आने वाले महीनों में इससे जुड़ी और भी चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ सकती हैं।
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इस खोज ने गिज़ा पिरामिडों की कहानी को बिल्कुल नया मोड़ दे दिया है।
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