ईरान भारत से सीखेगा चीता संरक्षण की तकनीक, आरटीआई से हुआ खुलासा.
नई दिल्ली, 15 मई: ईरान ने भारत से चीता संरक्षण और प्रबंधन के अनुभवों से सीखने में दिलचस्पी दिखाई है।

एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के जवाब में यह जानकारी सामने आई है। फरवरी में भारत सरकार की चीता परियोजना संचालन समिति की बैठक के दौरान इस बात का खुलासा किया गया कि ईरान, जो अपनी लुप्तप्राय एशियाई चीता आबादी को बचाने में लगा है, भारत के प्रयासों को समझना चाहता है।
समिति के अध्यक्ष राजेश गोपाल ने बताया कि ईरान ने अनौपचारिक रूप से भारत के चीता प्रबंधन प्रयासों को सराहा है। हालांकि, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक ईरान की ओर से इस संबंध में कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है। फिर भी भारत ने अपनी कार्य योजना में यह स्पष्ट किया है कि वह ईरान और वैश्विक समुदाय को संरक्षण प्रयासों में सहयोग देने को तैयार है।
भारत में चीता 1948 में विलुप्त हो गया था। इसके बाद सरकार ने नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाकर पुनर्वास की कोशिशें शुरू कीं। फिलहाल मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में कई चीते पुनर्स्थापित किए गए हैं। अब भारत की यह पहल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहे जाने लगी है और अन्य देश इससे प्रेरणा ले रहे हैं।