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देशभर में कोयला और लिग्नाइट खदानों में 5 साल में 226 मौतें.

नई दिल्ली: देशभर में कोयला और लिग्नाइट खदानों में पिछले पांच वर्षों में कुल 226 मौतें दर्ज की गई हैं।

यह जानकारी कोयला और खान मंत्री किशन रेड्डी ने दी।

मंत्री किशन रेड्डी के अनुसार, इन 226 मौतों में से सबसे अधिक 53 मौतें वर्ष 2020 और 2024 में हुईं।

उन्होंने बताया कि कोयला खदानों में सुरक्षा उपायों को लेकर सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

सुरक्षा के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि ऐसी दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।

मंत्री ने बताया कि खदानों में काम करने वाले श्रमिकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे सुरक्षा मानकों का पालन करें।

इसके अलावा, खदानों में सुरक्षा उपकरणों की संख्या बढ़ाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

मंत्री ने कहा कि सरकार खदानों में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठा रही है।

कोयला मंत्रालय के अनुसार, खदानों में हुई मौतों में कई मामले लापरवाही और सुरक्षा नियमों के उल्लंघन से जुड़े पाए गए हैं।

सरकार ने खदान प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वे श्रमिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

इसके साथ ही खदानों में नियमित निरीक्षण और सुरक्षा ऑडिट को अनिवार्य बनाया गया है।

मंत्री किशन रेड्डी ने कहा कि सरकार मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने के साथ-साथ उनके आश्रितों को रोजगार देने के लिए भी कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा कि खदानों में सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग और स्वचालित उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा।

इस दौरान मंत्री ने श्रमिक संगठनों से अपील की कि वे भी सुरक्षा उपायों को लागू करने में सहयोग करें।

खदानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए भी योजना बनाई जा रही है।

मंत्री ने बताया कि खदानों में सुरक्षा को लेकर जनजागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे।

सरकार का लक्ष्य है कि खदानों में शून्य दुर्घटना नीति को अपनाया जाए।

कोयला मंत्रालय ने खदान मालिकों को चेतावनी दी है कि सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

देशभर में कोयला और लिग्नाइट खदानों में काम करने वाले हजारों श्रमिकों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता बनी हुई है।

खदान प्रबंधन को निर्देश दिया गया है कि वे सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

सरकार का मानना है कि इन उपायों से भविष्य में खदान दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकेगी।

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