
मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया। भूषण ने कहा कि संविधान पीठ ने 2023 में फैसला दिया था कि CEC और ECs की नियुक्ति के लिए गठित पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को भी शामिल किया जाए, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें बाहर कर दिया।
भूषण की दलीलें:
- “केंद्र ने लोकतंत्र का मजाक बना दिया है।”
- “2023 कानून के तहत नियुक्तियां संविधान पीठ के फैसले के विपरीत हैं।”
- “इस मुद्दे को शीर्ष प्राथमिकता पर सुना जाना चाहिए।”
- “नियुक्तियों को चुनौती दी गई है, इसलिए तत्काल हस्तक्षेप जरूरी है।”
कांग्रेस नेता जया ठाकुर की ओर से पेश अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने भी कहा कि सरकार ने नए कानून के तहत तीन नियुक्तियां की हैं, जो विवादित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बुधवार को सुनने पर सहमति जताई है।