
इसका असर राजस्थान के बीकानेर के ऊन व्यापारियों पर भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। यहां के ऊन व्यापारी वर्तमान में एक तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रहे हैं, जबकि उनका भविष्य अनिश्चितता के बादलों से घिरा हुआ है।
ऊन व्यवसायी दिलीप कुमार गंगा का कहना है कि इस युद्ध के कारण ऊन के कालीन की मांग में कमी आएगी। उनका तर्क है कि ऊन के कालीन एक विलासिता की वस्तु है, और ऐसे समय में जब भू-राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है, उपभोक्ता आमतौर पर गैर-आवश्यक वस्तुओं पर खर्च कम कर देते हैं। मध्य पूर्व, विशेषकर खाड़ी के देश, भारतीय ऊन और ऊनी उत्पादों के प्रमुख बाजारों में से एक हैं। युद्ध के कारण व्यापार मार्गों में व्यवधान, शिपिंग लागत में वृद्धि और उपभोक्ता भावना में गिरावट सीधे तौर पर बीकानेर के ऊन उद्योग को प्रभावित कर रही है।
इस स्थिति से बीकानेर के हजारों बुनकर और व्यापारी चिंतित हैं, जिनकी आजीविका इस उद्योग पर निर्भर करती है। यदि स्थिति जल्द ही सामान्य नहीं होती है, तो उन्हें बड़े आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। सरकार और व्यापार संगठनों से उम्मीद की जा रही है कि वे इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाएं, ताकि इस महत्वपूर्ण उद्योग को बचाया जा सके।