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देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय का बड़ा कदम.

नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के प्रयास के तहत रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), गाज़ियाबाद के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

मुख्य बिंदु:
यह समझौता ‘लो-लेवल ट्रांसपोर्टेबल रडार’ (LLTR) ‘अश्विनी’ की खरीद के लिए हुआ है।
इस प्रोजेक्ट की कुल लागत ₹2,906 करोड़ है।
‘अश्विनी’ रडार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
इस समझौते पर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।
‘अश्विनी’ रडार एक सक्रिय इलेक्ट्रॉनिकली स्कैनड फेज़्ड एरे (AESA) रडार है।
इसमें अत्याधुनिक सॉलिड स्टेट टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है।
यह रडार तेज़ गति वाले फाइटर विमानों से लेकर धीमी गति वाले ड्रोन और हेलीकॉप्टरों तक को ट्रैक करने में सक्षम है।
इस रडार की तैनाती से भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारियों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
‘अश्विनी’ रडार में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स (ECCM) तकनीक भी मौजूद है।
यह रडार विभिन्न प्रकार के इलाकों में तैनात किया जा सकता है।
यह रडार स्वचालित रूप से हवाई लक्ष्यों का पता लगाकर उन्हें ट्रैक कर सकता है।
‘अश्विनी’ रडार का उपयोग दुश्मन के लड़ाकू विमानों और धीमी गति वाले ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक करने में किया जाएगा।
BEL का कुल ऑर्डर प्रवाह अब ₹17,030 करोड़ तक पहुंच चुका है।
BEL को इस वित्तीय वर्ष में कई रक्षा उपकरणों की आपूर्ति का महत्वपूर्ण ऑर्डर मिला है।
यह सौदा ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने का हिस्सा है।
रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे को भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि करार दिया है।
BEL को स्वदेशी रक्षा उत्पादन में अग्रणी कंपनी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
भारतीय वायुसेना के अलावा अन्य सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी यह रडार उपयोगी साबित होगा।
BEL के इस नए सौदे से भारत की वायु रक्षा प्रणाली और मजबूत होगी।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह रडार देश की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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