
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री के सभी बयान सत्य पर आधारित थे और दस्तावेजों द्वारा प्रमाणित भी किए गए हैं।
धनखड़ ने कहा कि विशेषाधिकार का मुद्दा केवल मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए उठाया गया था और राज्यसभा को लोगों की छवि खराब करने का मंच नहीं बनने दिया जाएगा।
धनखड़ ने बताया कि 26 मार्च 2025 को कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था। यह नोटिस राज्यसभा के नियम 188 के तहत दिया गया था।
रमेश ने आरोप लगाया था कि 25 मार्च को आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2024 पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी पर टिप्पणी की थी।
अमित शाह ने अपने भाषण में कहा था कि “कांग्रेस शासन के दौरान प्रधानमंत्री राहत कोष बना था और एनडीए सरकार के दौरान पीएम केयर्स फंड बनाया गया। उस समय कांग्रेस के शासन में एक परिवार का नियंत्रण था और कांग्रेस अध्यक्ष कोष के सदस्य थे।”
धनखड़ ने कहा कि अमित शाह ने अपने बयान को प्रमाणित करते हुए 24 जनवरी 1948 का एक दस्तावेज प्रस्तुत किया। इस प्रेस नोट में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष’ की स्थापना का ऐलान किया था, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष को इसका सदस्य बनाया गया था।
धनखड़ ने कहा कि उन्होंने पूरी बहस को ध्यानपूर्वक पढ़ा और पाया कि अमित शाह के बयान में कोई गलती नहीं थी और उनके कथन सत्य पर आधारित थे।
धनखड़ ने विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव जल्दबाजी में लाया गया था। उन्होंने जोर दिया कि राज्यसभा को किसी की प्रतिष्ठा धूमिल करने का मंच नहीं बनने दिया जाएगा।
सभापति ने इसके अलावा राज्यसभा की आचार समिति को नई तकनीकी प्रगति और सोशल मीडिया को ध्यान में रखते हुए सदस्यों के लिए नए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया।