
अदालत ने विदेशी राहत कोष प्राप्त करने के मामले में उन्हें सुनाई गई एक साल की सजा को बरकरार रखा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1997 में पापनासम विधानसभा क्षेत्र से विधायक जवाहिरुल्लाह ने बिना सरकारी अनुमति के 1.54 करोड़ रुपये की विदेशी राहत राशि प्राप्त की थी।
इसके बाद 2001 में सीबीआई ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया और चेन्नई के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई चली।
कई सालों की कानूनी प्रक्रिया के बाद अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए एक साल की सजा सुनाई।
इसी मामले में 2011 में जवाहिरुल्लाह के सहयोगी हैदर अली को भी एक साल की सजा दी गई थी।
वहीं, इस मामले में शामिल अन्य तीन आरोपी – एस सैयद निसार अहमद, जीएम शेख और नल्ला मोहम्मद कलंज्यम को दो साल की सजा सुनाई गई थी।
इसके बाद जवाहिरुल्लाह और अन्य आरोपियों ने मद्रास हाईकोर्ट में अपनी सजा को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।
मामले की सुनवाई जस्टिस वेलमुरुगन की अदालत में हुई।
अदालत ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए सभी आरोपियों की सजा को बरकरार रखा।
अदालत के इस फैसले से एमएमके नेता को बड़ा झटका लगा है।
विधायक जवाहिरुल्लाह को अब अपनी एक साल की सजा भुगतनी होगी।
इस मामले के चलते क्षेत्र में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है।
अदालत के फैसले के बाद एमएमके समर्थकों में मायूसी देखी गई।
इस बीच, जवाहिरुल्लाह के वकीलों का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की योजना बना रहे हैं।
मामला सामने आने के बाद से राजनीतिक दलों में चर्चाओं का दौर जारी है।