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मणिपुर हिंसा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए गठित समिति का कार्यकाल बढ़ा.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए गठित समिति का कार्यकाल 31 जुलाई 2025 तक बढ़ा दिया है।

इस समिति का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल कर रही हैं।

मणिपुर में 3 मई 2023 को शुरू हुई हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, कई सौ लोग घायल हुए और हजारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों की सुनवाई गुवाहाटी में होगी।

इन मामलों की जांच सीबीआई कर रही है, जिनका ट्रायल अब गुवाहाटी की अदालतों में किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त 2023 को आदेश देते हुए कहा था कि गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इन मामलों के लिए एक या अधिक न्यायिक अधिकारियों को नामित करना होगा।

अदालत ने मणिपुर हिंसा से जुड़े 27 मामलों को असम में ट्रांसफर किया था।

इन 27 मामलों में 20 मामले छेड़छाड़, दुष्कर्म और हत्या से जुड़े हैं, जबकि तीन मामले हथियार लूटने से जुड़े हैं।

इसमें वह मामला भी शामिल है जिसमें दो महिलाओं को नग्न परेड कराने का वीडियो वायरल हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति का कार्यकाल 31 जुलाई 2025 तक बढ़ाया गया है ताकि हिंसा पीड़ितों के पुनर्वास का काम सुचारु रूप से चल सके।

इस समिति में पूर्व बॉम्बे हाई कोर्ट की न्यायाधीश शालिनी पी जोशी और पूर्व दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायाधीश आशा मेनन भी शामिल हैं।

इस समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट ने 7 अगस्त 2023 को मणिपुर हिंसा के पीड़ितों को राहत और पुनर्वास प्रदान करने के उद्देश्य से किया था।

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