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अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस के अवसर पर, दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में रहने वाली माताओं ने अपने बच्चों की भलाई के लिए प्रार्थना की। इस विशेष दिन पर, इन बुजुर्ग महिलाओं की आंखें अपने बच्चों की यादों से नम थीं, भले ही वे आज उनसे दूर हैं। उन्होंने ईश्वर से कामना की कि उनके बच्चे जहां कहीं भी हों, स्वस्थ और खुश रहें। मातृ दिवस का यह दिन उनके लिए अपनी ममता और वात्सल्य को याद करने का एक भावुक अवसर था।
वृद्धाश्रम के कर्मचारियों ने इस दिन को इन माताओं के लिए थोड़ा और खास बनाने की कोशिश की। उनके लिए एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें उन्होंने गाने गाए और अपनी पुरानी यादें साझा कीं। कई महिलाओं ने अपने बच्चों के बचपन के किस्से सुनाए और बताया कि कैसे उन्होंने उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया। इस दौरान कुछ भावुक पल भी आए, जब माताएं अपने बच्चों को याद करके भावुक हो गईं।
इन बुजुर्ग माताओं का अपने बच्चों के प्रति अटूट प्रेम और चिंता यह दर्शाता है कि मां का दिल हमेशा अपने बच्चों के लिए धड़कता रहता है, चाहे परिस्थितियां कुछ भी हों। मातृ दिवस पर इन महिलाओं की प्रार्थनाएं मातृत्व के निस्वार्थ प्रेम और बंधन की एक शक्तिशाली अभिव्यक्ति हैं। यह दिन हमें अपनी माताओं के त्याग और प्यार को याद करने और उनका सम्मान करने का अवसर देता है।
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