
भुवनेश्वर, ओडिशा: असम में जन्मी इंद्राणी का दिल अब ओडिशा के लिए धड़कता है। जब उन्होंने सौम्य से शादी की और ओडिशा आईं, तो उन्हें शायद ही यह पता था कि वह इस राज्य की विलुप्त होती कलाओं को खोजने, बढ़ावा देने और उनके इतिहास को संरक्षित करने का काम करेंगी। वह अब एक ऐसी मिशनरी बन गई हैं, जो ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत को बचाने में जुटी हैं।
उन्होंने इन कला रूपों को खोजने, उनके कलाकारों से मिलने और उनके जीवन और कला पर दस्तावेजीकरण करने का काम शुरू किया। यह काम न केवल कला को जीवित रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उन कलाकारों के लिए भी एक बड़ी प्रेरणा है जो वर्षों से अपनी कला को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इंद्राणी का यह प्रयास एक मिसाल है कि कैसे एक व्यक्ति किसी और राज्य की संस्कृति को अपना सकता है और उसे बचाने के लिए काम कर सकता है। उनका यह जुनून और समर्पण ओडिशा की कला और संस्कृति को एक नई पहचान दे रहा है।