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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सफल परीक्षणों के बाद यूनियन कार्बाइड के कचरे के निपटान को मंजूरी दे दी है।
सरकार ने निपटान की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 72 दिनों का समय मांगा था।

घटना का विवरण:
- मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल स्थित बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के रासायनिक कचरे का पीथमपुर संयंत्र में निपटान करने की राज्य सरकार को अनुमति दी।
- यह आदेश कोर्ट को यह बताए जाने के बाद दिया गया कि परीक्षण के तौर पर कचरे को जलाने के दौरान कोई प्रतिकूल परिणाम नहीं हुआ।
- मुख्य न्यायाधीश एस के कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने कहा कि चार दशक पुराने खतरनाक कचरे का 72 दिनों के भीतर धार जिले के संयंत्र में सुरक्षित तरीके से निपटान किया जाएगा।
- पीथमपुर के कुछ स्थानीय संगठन शहर के पास कचरे के निपटान का विरोध कर रहे थे, लेकिन सरकार ने अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में कहा कि निपटान के तीन परीक्षण सफल रहे और इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।
- अदालत ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि वह सभी सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करे और कचरे का निपटान करे।
- भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखाने से दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था।
अतिरिक्त जानकारी:
- यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को लेकर मध्य प्रदेश शासन ने उच्च न्यायालय में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
- उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि जहरीले कचरे को 72 दिनों के अंदर जला दिया जाए और इसकी रिपोर्ट पेश की जाए।
- कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि कचरे को जलाने की प्रक्रिया में सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाए।
- कोर्ट के निर्देशानुसार पूरी प्रक्रिया की निगरानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपी पीसीबी) करेंगे, ताकि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
- कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि वह विषाक्त कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन (BGIA) द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करे।