
यह फैसला तब आया जब कुछ ही हफ्तों में राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप, जो फांसी की सजा का समर्थन करते हैं, पदभार ग्रहण करेंगे।
- 37 कैदियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदली गई।
- 3 कैदियों की सजा बरकरार रही, जिनमें डायलन रूफ, जोखर सारनायेव और रॉबर्ट बोवर्स शामिल हैं।
- बाइडेन ने कहा कि ये कदम संघीय फांसी पर उनकी स्थगन नीति के अनुरूप हैं।
- फैसले पर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही। ट्रंप प्रवक्ता ने इसे “भयावह” कहा।
- पीड़ितों के परिवारों ने भी नाराजगी जताई।
- रूफ के अपराध को जातीय घृणा से प्रेरित बताया गया।
- बाइडेन ने न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
- 2021 में बाइडेन ने फांसी पर रोक लगाने की घोषणा की थी।
- उन्होंने संघीय स्तर पर फांसी को समाप्त करने का वादा किया था।
- बाइडेन ने कहा कि उनका यह कदम न्याय और मानव गरिमा को बढ़ावा देता है।
- कैथोलिक चर्च ने फैसले की सराहना की।
- ट्रंप ने फांसी के दायरे को बढ़ाने का वादा किया है।
- ट्रंप के कार्यकाल में 13 संघीय फांसी हुई थीं।
- बाइडेन ने कहा कि वे भविष्य में फांसी पर रोक जारी रखेंगे।
- ट्रंप प्रशासन में दवा और मानव तस्करों के लिए फांसी की वकालत की गई थी।
- बाइडेन ने 1,500 अन्य कैदियों की सजा भी घटाई थी।
- मानवाधिकार समूहों ने बाइडेन के फैसले का स्वागत किया।
- यह फैसला बाइडेन के इटली दौरे से पहले आया।
- पोप फ्रांसिस ने भी मौत की सजा समाप्त करने की अपील की थी।
- बाइडेन ने इसे “न्याय का महत्वपूर्ण कदम” बताया।