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भारत का दक्षिण चीन सागर में स्थिरता में अटूट हित है।

नई दिल्ली: द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के बाद, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने दक्षिण चीन सागर पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है।

मंत्रालय ने कहा कि इस क्षेत्र में “शांति और स्थिरता बनाए रखने में भारत का अटूट हित है।” यह बयान इस बात पर जोर देता है कि भारत इस महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग में किसी भी तरह के तनाव का पक्षधर नहीं है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दक्षिण चीन सागर पर भारत की स्थिति “स्पष्ट और सुसंगत” है। भारत इसे “वैश्विक साझा (global commons)” का हिस्सा मानता है और यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अंतर्राष्ट्रीय कानूनों, विशेष रूप से समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) के अनुसार सभी को नौवहन की स्वतंत्रता और ओवरफ्लाइट का अधिकार हो। यह भारत की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण और नियम-आधारित व्यवस्था का समर्थन करता है।

यह टिप्पणी तब आई है जब भारत और अन्य देशों के साथ चीन का दक्षिण चीन सागर में तनाव बढ़ रहा है। भारत का यह रुख न केवल इस क्षेत्र में एक जिम्मेदार हितधारक के रूप में उसकी भूमिका को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और नौवहन के लिए इस महत्वपूर्ण जलमार्ग की स्थिरता को कितना महत्व देता है।

 

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