बस्तर डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है.
जगदलपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ का आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्तर.

डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहा है, जिससे यहाँ की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। एक तरफ जहां सरकार अगले साल मार्च तक बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर, यहां मामूली चोट या बीमारी वाले लोगों का भी उचित इलाज नहीं हो पा रहा है, जो एक गंभीर विरोधाभास प्रस्तुत करता है।
बस्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव एक बड़ी चुनौती है। यहाँ के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। दूरदराज के इलाकों में तो स्थिति और भी बदतर है, जहां लोगों को इलाज के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर या जोखिम भरे रास्तों से गुजरकर शहरों तक पहुंचना पड़ता है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, उचित उपकरणों का अभाव और बुनियादी सुविधाओं की कमी इस समस्या को और गंभीर बना रही है, जिससे आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
यह स्थिति बस्तर के विकास और स्थानीय आबादी के जीवन स्तर में सुधार के सरकारी दावों पर सवाल उठाती है। क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त करने के साथ-साथ, सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए। डॉक्टरों की पर्याप्त संख्या, बेहतर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच सुनिश्चित करना बस्तर के लोगों के लिए न केवल आवश्यक है, बल्कि उनके विश्वास को जीतने और क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए भी महत्वपूर्ण है।