पूर्व जस्टिस वी. रामासुब्रमणियन को NHRC का नया चेयरपर्सन नियुक्त किया गया।
विपक्ष ने चयन प्रक्रिया को पारदर्शिता और परामर्श की कमी वाला बताया।
विपक्षी नेताओं ने जस्टिस रोहिंटन फाली नरीमन और जस्टिस के. एम. जोसेफ के नाम प्रस्तावित किए।
खड़गे और गांधी ने चयन समिति की बहुमत आधारित प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
NHRC का चेयरपर्सन पद 1 जून से खाली था।
विपक्ष ने नियुक्तियों में विविधता और समावेशिता का ध्यान रखने की मांग की।
खड़गे और गांधी ने कहा कि विविध नेतृत्व मानवाधिकार आयोग की संवेदनशीलता बढ़ाएगा।
उन्होंने जस्टिस नरीमन को अल्पसंख्यक पारसी समुदाय का उत्कृष्ट न्यायविद बताया।
जस्टिस जोसेफ की न्यायिक स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों की सराहना की।
समिति ने जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस अकिल कुरैशी के नाम भी सुझाए।
जस्टिस मुरलीधर को सामाजिक न्याय के पक्ष में निर्णय देने वाला बताया गया।
जस्टिस कुरैशी को संविधान और जवाबदेही के लिए प्रतिबद्ध बताया।
चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी से जनता का भरोसा कम होने का खतरा।
खड़गे और गांधी ने नियुक्ति प्रक्रिया को निष्पक्षता से संचालित करने पर जोर दिया।
समिति ने पूर्व CJI या सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज को चेयरपर्सन चुना।
पूर्व CJIs एच. एल. दत्तू और के. जी. बालाकृष्णन भी NHRC का नेतृत्व कर चुके हैं।
NHRC ने X (पूर्व में ट्विटर) पर नियुक्तियों की जानकारी दी।
प्रियांक कानूनगो और डॉ. जस्टिस बिद्युत रंजन सरंगी को NHRC का सदस्य बनाया गया।
कानूनगो इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के चेयरपर्सन रह चुके हैं।