
यह फैसला उन व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करता है जो सीमा पार से शादी कर भारत आए थे, और जिनके मामले अनसुलझे हैं।
रक्षंदा, एक पाकिस्तानी नागरिक है जिसने भारतीय नागरिक शेख ज़हूर अहमद से शादी की थी। उसे पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद राज्य से निर्वासित कर दिया गया था। कोर्ट ने पाया कि उसे वैध कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना निर्वासित किया गया था, और उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ था। यह फैसला ऐसे कई अन्य मामलों के लिए एक नजीर बन सकता है जहाँ महिलाएं कानूनी अनिश्चितता का सामना कर रही हैं।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में कानून का उचित पालन और मानवीय दृष्टिकोण आवश्यक है। यह निर्णय उन परिवारों के लिए आशा की किरण है जो इसी तरह की परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, और यह दर्शाता है कि अदालतें नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं, भले ही उनकी राष्ट्रीयता कुछ भी हो।