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नई तकनीक से किसानों की आमदनी दोगुनी, डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन बना संजीवनी.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के किसान संजीव कुमार प्रेेमी (51) की जिंदगी नई तकनीक अपनाने के बाद पूरी तरह बदल गई है।

वह अब पारंपरिक खेती की तुलना में आधुनिक तरीकों से सब्जी की खेती कर सालाना 18 लाख रुपये कमा रहे हैं, जबकि पहले उन्हें सिर्फ 6-8 लाख रुपये की ही आमदनी होती थी।

सौर ऊर्जा और नई तकनीक से बढ़ा मुनाफा

संजीव ने बताया कि वह 2010 से आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं और वित्तीय रूप से लगभग दोगुना लाभ कमा रहे हैं। पहले उन्हें डीजल, बिजली बिल और कीटनाशकों पर ज्यादा खर्च करना पड़ता था, लेकिन अब सौर ऊर्जा से सिंचाई कर रहे हैं, जिससे बिजली का खर्च काफी कम हो गया है।

राजस्थान के किसान की भी बदली किस्मत

राजस्थान के किसान रामनारायण चौधरी ने भी नई तकनीक अपनाकर अपनी 18 एकड़ जमीन से सालाना आमदनी 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर ली है। उन्होंने पॉलीहाउस खेती को अपनाया, जिससे कम लागत में अधिक उत्पादन मिल रहा है। इसके अलावा, उन्होंने एग्रीवोल्टाइक सिस्टम और ड्रिप इरिगेशन तकनीक को भी अपनाया, जिससे बिजली और पानी की बचत हो रही है।

डिजिटल कृषि मिशन से बदल रहा खेती का स्वरूप

भारत सरकार ने ‘डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन’ को सितंबर 2024 में मंजूरी दी थी, जिसके लिए 2,817 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इसमें केंद्र सरकार का योगदान 1,940 करोड़ रुपये है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आईओटी का उपयोग

कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत विभिन्न संस्थान नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इनमें सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स, मैंगो सॉर्टिंग सिस्टम, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी तकनीकें शामिल हैं।

रिस्क असेसमेंट और नई खोजें

  • क्लाइमेट चेंज के आधार पर इंडिगो कैटरपिलर के खतरे का GIS मैप तैयार किया गया है।
  • गन्ने के कीटों और बीमारियों की पहचान के लिए AI-आधारित डिटेक्शन सिस्टम विकसित किया गया है।
  • वायरस संक्रमण की पहचान के लिए नया एग्रोइनोकुलेशन मेथड विकसित किया गया है।
  • खेतों में बीमारियों की त्वरित पहचान के लिए पोर्टेबल LAMP-आधारित डिवाइस बनाई गई है।

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