
उन्होंने कहा कि इस तरह के गंभीर मामलों में संसद सत्र बुलाया जाना चाहिए था ताकि राष्ट्रीय हित में सामूहिक निर्णय लिया जा सके।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, “दोनों देशों के सैन्य अभियान निदेशक (DGMO) के बीच बैठक हो रही है, देखते हैं वहां क्या फैसला होता है। लेकिन केंद्र को सभी दलों की बैठक बुलानी चाहिए थी।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आतंकवादियों और उनके मददगारों के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई का पूरा श्रेय हमारे वीर सशस्त्र बलों को जाना चाहिए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे अभियानों पर कोई भी राजनीतिक दल या सरकार को व्यक्तिगत श्रेय नहीं लेना चाहिए।
सिद्धारमैया का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सीमा पर शांति के प्रयासों को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि देश की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और सभी पक्षों को मिलकर राष्ट्रीय एकता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान 2024 लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में अहम संकेत देता है।
वहीं केंद्र सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
अब सभी की नजर DGMO की बैठक के नतीजों और आगे के कूटनीतिक घटनाक्रम पर टिकी है।