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पुरी समिति ने इस्कॉन से रथ यात्रा परंपरा सम्मान की अपील की।

पुरी, ओडिशा: ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर समिति ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से जुड़ी सदियों पुरानी परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन न करने का आग्रह किया है।

यह अपील ऐसे समय में आई है जब वार्षिक रथ यात्रा नजदीक है और दुनियाभर में भगवान जगन्नाथ के भक्त इस महापर्व की तैयारियों में जुटे हुए हैं। मंदिर समिति का यह कदम पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं के संरक्षण की दिशा में उठाया गया है।

जगन्नाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष ने इस्कॉन मंदिरों द्वारा विभिन्न तिथियों पर भगवान जगन्नाथ से संबंधित पवित्र स्नान अनुष्ठान (स्नान यात्रा) और रथ यात्राएं आयोजित करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस्कॉन द्वारा अपनी सुविधानुसार इन अनुष्ठानों को विभिन्न तिथियों पर आयोजित करना हिंदू धर्मग्रंथों और पारंपरिक हिंदू कैलेंडर का स्पष्ट उल्लंघन है। पुरी मंदिर का मानना है कि ऐसा करने से भगवान जगन्नाथ की मूल परंपराओं की पवित्रता और विशिष्टता प्रभावित होती है, जो करोड़ों भक्तों के लिए गहरी आस्था और सांस्कृतिक विरासत का विषय है।

पुरी मंदिर समिति ने जोर देकर कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक विशिष्ट और ऐतिहासिक आयोजन है जिसकी अपनी निर्धारित तिथियां और अनुष्ठान हैं, जिनका पालन जगन्नाथ संस्कृति का मूल आधार है। इन परंपराओं का पालन करना ही आस्था और सांस्कृतिक विरासत के सम्मान का प्रतीक है। समिति ने इस्कॉन और अन्य संगठनों से आग्रह किया है कि वे सार्वभौमिक सद्भाव और धार्मिक एकता बनाए रखने के लिए इन स्थापित परंपराओं का सम्मान करें और उनका पालन करें। यह मुद्दा धार्मिक प्रथाओं में एकरूपता और पारंपरिक संस्थानों के अधिकार से संबंधित एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म देता है।

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