
काजीरंगा, असम: असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में, मोहनमाला नाम की एक हथिनी ने साहस और सेवा का एक नया अध्याय लिखा है। यह हथिनी, जो अब काजीरंगा की आखिरी मातृसत्ता के रूप में जानी जाती है, ने अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा वन विभाग की सेवा में बिताया है।
पिछले 12 वर्षों से, यह हथिनी सरकारी पेंशन पर रह रही है, जहां उसे पूरा ध्यान, भोजन और पशु चिकित्सा सेवाएँ मिल रही हैं। यह एक अनूठी मिसाल है कि कैसे एक जानवर को उसकी सेवाओं के लिए सम्मान दिया जाता है। मोहनमाला ने वन विभाग के कई महत्वपूर्ण कार्यों में मदद की है, जैसे कि गश्त, वन्यजीवों की निगरानी और बचाव कार्य।
मोहनमाला की कहानी न केवल एक जानवर की सेवा को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे मानव और वन्यजीवों के बीच एक गहरा और सम्मानजनक रिश्ता कायम किया जा सकता है। यह काजीरंगा के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों का एक सुंदर प्रतीक है, जहां न केवल वन्यजीवों को बचाया जाता है, बल्कि उन्हें सम्मान और देखभाल भी दी जाती है।