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पीली हल्दी की कजिन, ‘ब्लैक टर्मरिक’ के चमत्कारी फायदे.
जयपुर: क्या आप जानते हैं कि हल्दी, जिसे आमतौर पर 'पीला चमत्कार' कहा जाता है, उसकी एक काली-नीली प्रजाति भी होती है?

वर्षों से हल्दी का उपयोग न केवल भारतीय रसोई में बढ़ा है बल्कि यह अब वैश्विक स्वास्थ्य ट्रेंड का हिस्सा भी बन चुकी है। यह न केवल याददाश्त बढ़ाने, मूड सुधारने और त्वचा को निखारने के लिए जानी जाती है बल्कि अब इसके दुर्लभ संस्करण ब्लैक टर्मरिक की लोकप्रियता भी बढ़ रही है।
ब्लैक टर्मरिक के मुख्य बिंदु:
- ब्लैक टर्मरिक (काली हल्दी) को वैज्ञानिक रूप से ‘Curcuma Caesia’ कहा जाता है।
- यह मुख्य रूप से असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पाई जाती है।
- इसका रंग बाहर से काला और अंदर से नीला या बैंगनी होता है।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह सामान्य हल्दी से भी अधिक फायदेमंद होती है।
- यह एक शक्तिशाली इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करती है।
- ब्लैक टर्मरिक का उपयोग कई गंभीर बीमारियों के इलाज में किया जा रहा है।
- विशेष रूप से, इसे कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जा रहा है।
- इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर को कई रोगों से बचाने में मदद करते हैं।
- आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग वर्षों से किया जा रहा है।
- यह अस्थमा, गठिया, त्वचा रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद मानी जाती है।
- इसकी खेती सीमित क्षेत्रों में होने के कारण यह दुर्लभ और महंगी होती है।
- कई देशों में ब्लैक टर्मरिक की मांग तेजी से बढ़ रही है।
- इसे ज्यादातर औषधीय और धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
- ब्लैक टर्मरिक का उपयोग तंत्र-मंत्र और आध्यात्मिक साधनाओं में भी किया जाता है।
- इसके तेल और पाउडर का उपयोग हर्बल उत्पादों और सौंदर्य प्रसाधनों में भी हो रहा है।
- भारत में इसे पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे सिद्ध, यूनानी और आयुर्वेद में अहम स्थान दिया गया है।
- ब्लैक टर्मरिक का उपयोग डाइजेशन सुधारने और पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए भी किया जाता है।
- इसके अर्क से तैयार औषधियां जोड़ों के दर्द को कम करने में मददगार साबित हो रही हैं।
- शोधकर्ता इसके औषधीय गुणों पर और गहराई से अध्ययन कर रहे हैं।
- ब्लैक टर्मरिक आने वाले वर्षों में एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि के रूप में उभर सकती है।