ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुआ यह 31 दिनों का ‘नो मीट मे’ आंदोलन लोगों को अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, पर्यावरण की मदद करने और जानवरों के प्रति करुणा दिखाने के लिए एक महीने तक मांस का त्याग करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
इस पहल के तहत, प्रतिभागी पूरे मई महीने में किसी भी प्रकार का मांस, जैसे कि बीफ, पोर्क, चिकन और मछली का सेवन नहीं करते हैं। इसका मुख्य लक्ष्य मांस उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जिसमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, वनों की कटाई और जल उपयोग शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, कई लोग मानते हैं कि मांस-मुक्त आहार उनके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।
‘नो मीट मे’ आंदोलन वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता हासिल कर रहा है, जिसमें विभिन्न देशों के लोग इस चुनौती में भाग ले रहे हैं। आयोजक लोगों को पौधे-आधारित व्यंजनों को आजमाने और स्थायी खाद्य विकल्पों के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह न केवल व्यक्तिगत आदतों में बदलाव लाने का एक प्रयास है, बल्कि एक सामूहिक आंदोलन है जिसका उद्देश्य पर्यावरण और पशु कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव डालना है।
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