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न्यायमूर्ति [न्यायाधीश का नाम] और न्यायमूर्ति [दूसरे न्यायाधीश का नाम] की पीठ ने जयश्री की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिन्होंने अपने सौतेले बेटे हर्षा का पालन-पोषण उसकी जैविक मां के निधन के बाद किया था।

अदालत ने वायुसेना के वकील से पूछा कि क्या किसी बच्चे का पालन-पोषण करने वाली सौतेली मां को पारिवारिक पेंशन से वंचित करना उचित है, खासकर तब जब जैविक मां की मृत्यु हो गई हो और बच्चे का कोई और माता-पिता न हो।

पीठ ने कहा कि कानून का उद्देश्य आश्रितों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है, और इस मामले में जयश्री ने हर्षा की मां की भूमिका निभाई है।

जयश्री ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने हर्षा का पालन-पोषण तब से किया जब वह बहुत छोटा था और वायुसेना के नियमों के तहत वह पारिवारिक पेंशन की हकदार हैं। उन्होंने तर्क दिया कि सौतेली मां होने के आधार पर उन्हें पेंशन से वंचित करना भेदभावपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना को इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने और यह बताने के लिए समय दिया है कि क्यों जयश्री को पारिवारिक पेंशन नहीं दी जा सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई कुछ हफ्तों बाद होगी।

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