
गया, बिहार: बिहार के गया जिले के इमामगंज प्रखंड स्थित विराग पंचायत की महादलित बस्तियों में तपेदिक (Tuberculosis-TB) एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनकर उभरा है। यह बीमारी, जिसे अक्सर ‘धीमी मौत’ के नाम से जाना जाता है, ने इन कमजोर समुदायों में कहर बरपाया है और कई जिंदगियों को लील लिया है।
विराज पंचायत में टीबी ने एक भयावह रूप ले लिया है, जहां यह ‘धीमी मौत’ का पर्याय बन गई है। इन बस्तियों में, जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित है और पोषण का स्तर अक्सर कम रहता है, टीबी तेजी से फैल रही है। गरीबी, कुपोषण, स्वच्छता की कमी और जागरूकता का अभाव इस बीमारी को और भी घातक बना रहा है। कई परिवार टीबी के कारण अपने सदस्यों को खो चुके हैं, जिससे वे गहरे सदमे और आर्थिक तंगी में डूब गए हैं।
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी और स्वयंसेवी संगठन इस स्थिति से निपटने के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन चुनौती बहुत बड़ी है। टीबी के इलाज के लिए लंबे समय तक दवाओं की आवश्यकता होती है, और अक्सर मरीज आर्थिक तंगी या जागरूकता की कमी के कारण इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं, जिससे बीमारी और भी प्रतिरोधी हो जाती है। सरकार को इन महादलित बस्तियों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने, जागरूकता अभियान चलाने और पोषण सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस बीमारी के कहर को रोका जा सके।