
मुख्यमंत्री स्टालिन ने घोषणा की कि विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेगा।
इस बैठक का उद्देश्य परिसीमन प्रक्रिया को न्यायसंगत और उचित बनाने के लिए दबाव बनाना होगा।
स्टालिन ने विधानसभा में प्रश्नकाल के बाद कहा कि प्रस्तावित 2026 जनगणना आधारित परिसीमन से तमिलनाडु के लोकतांत्रिक अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु जैसे राज्यों, जिन्होंने सफलतापूर्वक कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं, को परिसीमन के कारण नुकसान नहीं होना चाहिए।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने सुझाव दिया कि संसद में एक संवैधानिक संशोधन लाकर इस मुद्दे का समाधान निकाला जाए।
उन्होंने कहा कि यदि संसद में सीटों की संख्या बढ़ाई जाती है, तो तमिलनाडु को 1971 की जनगणना के अनुपात के आधार पर सीटें दी जानी चाहिए।
तमिलनाडु ने 14 फरवरी, 2025 को परिसीमन के विरोध में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था।
इसके बाद 5 मार्च, 2025 को एक सर्वदलीय बैठक आयोजित हुई जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया।
बैठक में नेताओं ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि 2026 के बाद भी वर्तमान निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं अगले 30 वर्षों के लिए बरकरार रखी जाएं।
नेताओं का कहना था कि ऐसा करने से दक्षिण भारतीय राज्यों के संघीय ढांचे और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की रक्षा होगी।
इसके बाद तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि राज्य को भविष्य में किसी भी परिसीमन में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।
इस मुद्दे को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्य समिति (JAC) का गठन किया गया।
इस समिति की पहली बैठक 22 मार्च, 2025 को चेन्नई में आयोजित की गई थी।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने परिसीमन के मुद्दे पर केंद्र सरकार से निष्पक्ष रवैया अपनाने की अपील की।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के हितों की रक्षा के लिए सभी राजनीतिक दल एकजुट हैं।
परिसीमन के मुद्दे पर तमिलनाडु की जनता में भी चिंता का माहौल है।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि राज्य के अधिकारों के लिए तमिलनाडु संघर्ष करता रहेगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि तमिलनाडु के राजनीतिक अधिकारों को किसी भी हाल में कमजोर नहीं होने दिया जाएगा।