
बेंगलुरु, कर्नाटक: बेंगलुरु यूनिवर्सिटी में एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जहाँ एक नए रिसर्च सेंटर के निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई को लेकर विश्वविद्यालय के अधिकारी और पर्यावरणविद् आमने-सामने आ गए हैं। पर्यावरणविदों का आरोप है कि यह कदम पर्यावरण के लिए हानिकारक है, जबकि अधिकारी विकास परियोजनाओं के लिए इसे आवश्यक बता रहे हैं।
पेड़ों की कटाई केंद्र सरकार की पीएम-उषा (PM-USHA) योजना के तहत एक नए अकादमिक और रिसर्च सेंटर के निर्माण के लिए की जा रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह केंद्र शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है और इसके लिए भूमि उपलब्ध कराना अनिवार्य है। हालांकि, पर्यावरण कार्यकर्ताओं का तर्क है कि बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई से शहर के हरे-भरे क्षेत्र को नुकसान होगा और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वे वैकल्पिक स्थानों या कम पेड़ काटने वाले डिजाइनों का सुझाव दे रहे हैं।
इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया है, पर्यावरणविदों ने विरोध प्रदर्शन और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है। यह घटना शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन साधने की चुनौती को दर्शाती है। यह देखना बाकी है कि इस गतिरोध का समाधान कैसे होता है, लेकिन यह निश्चित रूप से बेंगलुरु के शहरी हरियाली के भविष्य पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ रहा है।