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नौशेरा के योद्धा हवलदार बलदेव सिंह का निधन.

जम्मू: नौशेरा के राजौरी क्षेत्र में रहने वाले हवलदार (सेवानिवृत्त) बलदेव सिंह का लंबी बीमारी के बाद बीती रात निधन हो गया।

बलदेव सिंह ने 1947-48 में ब्रिगेडियर उस्मान के साथ नौशेरा और झांगर की लड़ाई में बाल सेना के सदस्य के रूप में हिस्सा लिया था।

जीवन परिचय और सेना में योगदान:

बलदेव सिंह का जन्म 27 सितंबर 1931 को नौशेरा के एक छोटे गांव नौनिहाल में हुआ।
1947 में मात्र 16 वर्ष की उम्र में बाल सेना में शामिल हुए और भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय पहले युद्ध में संदेशवाहक की भूमिका निभाई।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बाल सैनिकों को ग्रामोफोन और घड़ियां देकर सम्मानित किया।
उन्होंने 14 नवंबर 1950 को भारतीय सेना ज्वाइन की और लगभग तीन दशकों तक देश की सेवा की।
युद्धों में भागीदारी:

1969 में सेवानिवृत्ति के बाद, 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्हें 11 जाट बटालियन (25 इन्फैंट्री डिवीजन) में आठ महीने के लिए दोबारा बुलाया गया।
सम्मान और देशभक्ति:
बलदेव सिंह ने हर युद्ध में अपनी बहादुरी से देश की सीमाओं की रक्षा की। उनके परिवार और सेना के साथियों ने उन्हें एक सच्चा योद्धा और देशभक्त बताया।

शोक संदेश:
जम्मू के रक्षा प्रवक्ता ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि बलदेव सिंह जैसे वीर सपूत देश की रक्षा में अमूल्य योगदान देते हैं।

मुख्य बिंदु:

1947-48 के युद्ध में बाल सेना के सदस्य के रूप में भाग लिया।
1950 में सेना ज्वाइन की और 1961, 1962, 1965 और 1971 के युद्ध लड़े।
1971 के युद्ध के दौरान सेवानिवृत्ति के बाद भी सेवा दी।
लंबे समय तक बीमार रहने के बाद निधन।

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