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‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के पक्ष में सरकार, लेकिन चुनाव आयोग ने MCC को बताया जरूरी उपकरण.

नई दिल्ली: सरकार ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की पहल को आगे बढ़ाने के लिए तर्क दिया है कि बार-बार लागू होने वाले आदर्श आचार संहिता (MCC) विकास कार्यों और सामान्य जनजीवन में बाधा डालते हैं।

हालांकि, चुनाव आयोग का मानना है कि MCC एक आवश्यक उपकरण है, जो चुनावों में समान अवसर सुनिश्चित करता है।

सरकार द्वारा पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार, एक साथ चुनाव कराने की जरूरत इसलिए है क्योंकि बार-बार होने वाले चुनाव महंगे और समय लेने वाले होते हैं। इसके अलावा, चुनावी प्रक्रिया के दौरान लागू MCC से विकास कार्य रुक जाते हैं और सामान्य जनजीवन प्रभावित होता है।

विधेयक में यह भी उल्लेख किया गया है कि बार-बार MCC लागू होने से सेवाओं का संचालन प्रभावित होता है और बड़ी संख्या में मानव संसाधन को उनके मुख्य कार्यों से हटाकर चुनावी कार्यों में लगाया जाता है।

लेकिन चुनाव आयोग ने मार्च 2023 में कानून आयोग को दिए गए एक जवाब में कहा था कि MCC का उद्देश्य केवल निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि इसे “विकास में रुकावट” के रूप में देखना सही नहीं है। आयोग ने यह भी कहा कि चुनावों की आवृत्ति और चक्र को व्यवस्थित करने से MCC लागू होने का समय सीमित किया जा सकता है।

सरकार और चुनाव आयोग के विचारों में भिन्नता के बावजूद, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लेकर चर्चा जारी है। यह देखना होगा कि इस पर भविष्य में क्या निर्णय लिया जाता है।

मुख्य बिंदु:

  1. सरकार का तर्क है कि MCC बार-बार लागू होने से विकास कार्य प्रभावित होते हैं।
  2. चुनाव आयोग का कहना है कि MCC चुनावी निष्पक्षता के लिए जरूरी है।
  3. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से चुनावी खर्च और समय की बचत होगी।
  4. विधेयक में MCC के कारण सेवाओं और मानव संसाधन पर पड़ने वाले प्रभाव का जिक्र।
  5. चुनाव आयोग ने MCC को विकास में रुकावट मानने से इनकार किया।
  6. MCC का उद्देश्य सभी चुनावी पक्षों के लिए समान अवसर प्रदान करना है।
  7. बार-बार चुनावों से सामान्य जनजीवन और विकास कार्यों में बाधा।
  8. MCC लागू होने का समय सीमित करने का सुझाव दिया गया।
  9. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कानून आयोग और सरकार के बीच चर्चा जारी।
  10. यह विधेयक भारतीय चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव ला सकता है।

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