
उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर भारतीय पॉलिसीधारकों को आगाह किया और पूछा कि क्या विदेशी कंपनियों को बीमा क्षेत्र सौंपना देश के हित में है? केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में घोषणा की कि अब बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी गई है। इस फैसले से वैश्विक बीमा कंपनियों का भारत में आगमन होगा और विदेशी निवेश में वृद्धि की उम्मीद है।
यादव ने कहा कि कूटनीतिक संबंधों में उतार-चढ़ाव से बीमा क्षेत्र प्रभावित हो सकता है और अगर कोई विवाद हुआ तो विदेशी बीमा कंपनियों की जवाबदेही तय करना मुश्किल होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि “इस अनिश्चितता का बीमा कौन करेगा?” अखिलेश ने भारतीय बीमाधारकों के हितों को असुरक्षित बताते हुए विदेशी कंपनियों को दी गई सुरक्षा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कंपनियां प्रीमियम का पैसा भारत में निवेश करेंगी या बाहर ले जाएंगी? क्या ये कंपनियां अपने मुनाफे का आधा हिस्सा भारत में लगाएंगी?
उन्होंने सरकार से इस विषय पर स्पष्टता की मांग की। विपक्षी दल इस फैसले के खिलाफ लामबंद हो सकते हैं, जबकि भारतीय बीमा कंपनियों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा सकता है। सरकार का कहना है कि इस कदम से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, लेकिन उद्योग जगत में इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या सफाई देती है।