उन्होंने कहा कि 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में बड़ा बदलाव आया।
26/11 हमले को भारत के लिए एक ‘टर्निंग पॉइंट’ बताया गया।
जयशंकर ने कहा कि उस हमले के बाद पूरे देश ने महसूस किया कि पड़ोसी देश का ऐसा व्यवहार अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि भारत पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुत बदल चुका है।
इसके विपरीत, पाकिस्तान आज भी अपनी पुरानी आदतों पर कायम है।
जब उनसे पूछा गया कि सरकार अब पाकिस्तान पर कम क्यों बोलती है, तो उन्होंने कहा – “हमारा समय कीमती है, उन्हें देने की जरूरत नहीं।”
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत का फोकस अब आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर है।
उन्होंने कहा कि भारत का सोच और दृष्टिकोण अब पहले से बहुत परिपक्व और आत्मविश्वास से भरा हुआ है।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के बदले नहीं जाने से भारत को कोई फर्क नहीं पड़ता।
उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत के सख्त रवैये की भी सराहना की।
जयशंकर ने कहा कि अब भारत हर मंच पर अपने हितों की रक्षा करना जानता है।
उन्होंने युवाओं से वैश्विक सोच के साथ आगे बढ़ने की अपील की।
विदेश मंत्री ने छात्रों को विश्व में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा से अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि भारत को अब दूसरों की स्वीकृति की ज़रूरत नहीं है।
उन्होंने भारत के वैश्विक कूटनीतिक विस्तार का जिक्र किया।
जयशंकर ने कहा कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि रणनीति बनाकर काम करता है।
पाकिस्तान की ओर से बार-बार आतंक फैलाने की कोशिशें अब नाकाम हो रही हैं।
उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति को दोहराया।
उनका कहना था कि आज का भारत निर्णायक और आत्मनिर्भर राष्ट्र है।
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