हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित सममू गाँव में एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है, जिसके तहत यहाँ के निवासी प्रकाश का पर्व दिवाली नहीं मनाते हैं। पूरे देश में जब खुशियाँ मनाई जाती हैं, तब इस गाँव में एक प्रकार का सांस्कृतिक मौन बना रहता है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और इसके पीछे एक पुरानी मान्यता है।
सममू गाँव में दिवाली न मनाने की इस परंपरा का मुख्य कारण एक दैवीय संदेश और गाँव के इष्टदेव से जुड़ी एक घटना मानी जाती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहाँ केवल दीपक जलाए जा सकते हैं, लेकिन किसी भी तरह के पटाखे नहीं फोड़े जाते हैं और कोई भी उत्सव या त्योहारी व्यंजन तैयार नहीं किया जाता है। गाँववासियों का मानना है कि यदि वे इस नियम का उल्लंघन करते हैं, तो गाँव पर कोई बड़ी विपत्ति आ सकती है। यह डर और श्रद्धा ही इस परंपरा को आज भी कायम रखे हुए है।
गाँव के बुजुर्गों ने बताया कि उन्होंने अपने पूर्वजों से भी इस परंपरा के बारे में सुना है और यह आज भी पूरी निष्ठा के साथ जारी है। हमीरपुर से इतनी कम दूरी पर होने के बावजूद भी सममू गाँव की यह सांस्कृतिक विलक्षणता इसे खास बनाती है। यह गाँव अपनी धार्मिक आस्था और परंपराओं के पालन को लेकर पूरे क्षेत्र में जाना जाता है। गाँववासी दीपावली के बजाय अन्य स्थानीय त्योहारों को उत्साह से मनाते हैं।



