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जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने आतंकी मामले में दो बरी किए।

जम्मू, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने एक आतंकी मामले में दो अभियुक्तों को बरी करते हुए कहा है कि जांच "लापरवाही भरे तरीके (slipshod manner)" से की गई थी।

इस फैसले ने जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, खासकर आतंकवाद से जुड़े संवेदनशील मामलों में।

न्यायमूर्ति शाहजाद अज़ीम और न्यायमूर्ति सिंधु शर्मा की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि गवाहों का आचरण “भरोसे के बिल्कुल अयोग्य (highly unworthy of reliance)” था। कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के खिलाफ पर्याप्त और विश्वसनीय सबूत पेश करने में विफल रहा, जिससे उन्हें संदेह का लाभ मिला और उन्हें बरी कर दिया गया। यह मामला कई सालों से चल रहा था, और इसमें शामिल व्यक्तियों को आतंकवाद से संबंधित गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ रहा था।

इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि आपराधिक न्याय प्रणाली में जांच की गुणवत्ता और गवाहों की विश्वसनीयता कितनी महत्वपूर्ण है। हाई कोर्ट ने जांच एजेंसियों को भविष्य में ऐसे मामलों में अधिक सावधानी और पेशेवरता बरतने का संदेश दिया है। यह फैसला उन लोगों के लिए एक मिसाल भी बन सकता है जो आतंकवाद से जुड़े मामलों में गलत तरीके से फंसाए गए हैं।


 

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