सुप्रीम कोर्ट: वैवाहिक विवाद में गुप्त रिकॉर्डिंग साक्ष्य के रूप में मान्य।
यह निर्णय वैवाहिक मुकदमों में साक्ष्य के नियमों को लेकर एक नई दिशा प्रदान करता है और इससे कई लंबित मामलों पर असर पड़ने की संभावना है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उच्च न्यायालय के एक आदेश को रद्द करते हुए निचली अदालत के आदेश को बहाल कर दिया है। निचली अदालत ने ऐसे रिकॉर्ड किए गए साक्ष्यों को स्वीकार करने का फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि रिकॉर्ड की गई बातचीत को वैवाहिक कार्यवाही के दौरान ध्यान में रखा जा सकता है। इस फैसले का तात्पर्य है कि यदि पति या पत्नी में से किसी एक ने दूसरे की बातचीत को गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया है, तो उसे अब अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकेगा, बशर्ते कि उसकी प्रामाणिकता साबित हो।
इस निर्णय से वैवाहिक विवादों में पारदर्शिता आने की उम्मीद है, जहां अक्सर मौखिक गवाहियों और दस्तावेजी सबूतों की कमी देखी जाती है। हालांकि, यह फैसला निजता के अधिकार और धोखाधड़ी से रिकॉर्डिंग के संभावित दुरुपयोग को लेकर कुछ नई बहस भी छेड़ सकता है। अदालतों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे सबूतों का उपयोग निष्पक्ष और कानूनी तरीके से हो।