
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में एक स्थानीय उद्यम और जन प्रतिनिधियों के सामूहिक प्रयासों से 12 गांवों ने खुद को जल-अधिशेष (Water Surplus) बना लिया है। यह उपलब्धि जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में एक मिसाल पेश करती है, खासकर ऐसे समय में जब देश के कई हिस्से पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
पिछले 15 वर्षों में, एक युवा सरपंच और अन्य जन प्रतिनिधियों ने विभिन्न सरकारी योजनाओं का सदुपयोग करते हुए 39 जल स्रोतों का विकास किया। इन जल स्रोतों में कुएं, तालाब, चेक डैम और अन्य जल संचयन संरचनाएं शामिल हैं। इन प्रयासों से भूजल स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे इन गांवों को पानी की किल्लत से मुक्ति मिली है और कृषि उत्पादन में भी सुधार आया है।
इस सफलता ने न केवल स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि सामुदायिक भागीदारी और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। यह रतलाम मॉडल अन्य सूखाग्रस्त क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।